आतंक से मुख्यधारा की राह क्या हो?
हाल ही के कुछ समाचार माध्यमों में खबर थी, १९९० के पूर्वार्ध में जम्मू कश्मीर छात्र स्वातंत्र्य फ्रंट के कर्ताधर्ता और आत्मसमर्पण करने वाले आतंकियों की संस्था इख़्वान-उल-मुस्लिमीन के सर्वोच्च कमांडर...
View Articleअनुगूंज ६ : मेरा चमत्कारी अनुभव
“मेरा चमत्कारी अनुभव” – मैंने अनुगूंज का यह विषय चुन कर स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। स्वयं का कोई ढ़ंग का अनुभव है नहीं, लिखूँ तो क्या लिखूँ? यही होता है जब नौसिखियों को कोई ज़िम्मेवारी का काम...
View Articleसातवीं अनुगूँज –बचपन के मेरे मीत
बचपन के मीत — बड़ा ही भावुक और दिल के करीब का विषय है यह। जैसे ही विषय की घोषणा हुई, मैंने सोचा कि अपनी प्रविष्टि तो निश्चित है। पर अलाली का आलम यह है कि कोई बात तब तक नहीं होती जब तक उस की अन्तिम तिथि...
View Articleआशा ही जीवन है –नवीं अनुगूँज
मैं एक इनक्युअरेब्ल ऑपटिमिस्ट हूँ, यानी लाइलाज आशावादी। मैं इस बात में सौ प्रतिशत विश्वास करता हूँ कि आशा ही जीवन है। ज़िन्दगी में कुछ भी गुज़र जाए, मैं हमेशा यही मानता हूँ कि शायद इस से बुरा भी हो सकता...
View Articleएक पाती, पाती के नाम (10वीं अनुगूँज)
मेरी प्यारी पाती, मुझे बहुत दुख है कि तुम अब इस दुनिया में नहीं रही। खैर जहाँ भी हो, सुखी रहो। इस दुनिया में फिर आने की तो उम्मीद छोड़ दो क्योंकि इस दुनिया में तुम्हारा स्थान ईमेल ने ले लिया है। सालों...
View Articleहिन्दी जाल जगत –आगे क्या?
यह चर्चा आरंभ करने के लिए आलोक का धन्यवाद। सब से पहली बात यह समझने की है कि इंटरनेट हमारे समाज का ही आईना है। हमारे समाज का एक अधूरा आईना, जिस में हम केवल समाज के पढ़े-लिखे, “आधुनिक”, मध्यम-आय (और ऊपर)...
View Articleअनुगूंज १६: (अति) आदर्शवादी संस्कार सही या गलत?
स्वामी जी बढ़िया रहे। इस विषय पर उन की प्रविष्टि पहले आई, और अनुगूँज बाद में घोषित हुई। यह तो वही हुआ कि जो आप ने पहले ही पढ़ा है उसी पर आप को डिग्री दी जाएगी। फिर खानापूर्ति के लिए एक और प्रविष्टि लिख...
View Articleअनुगूँज 17: क्या भारतीय मुद्रा बदल जानी चाहिए?
भारतीय मुद्रा बदलने का रजनीश का सुझाव विचारणीय तो है, पर मेरे विचार में इस का उत्तर है — नहीं। अर्थशास्त्र पर अपनी पकड़ वैसे बहुत कमज़ोर है, इसलिए डिस्क्लेमर पहले सुना दूँ — इस विषय पर व्यक्त किए गए...
View Articleएक नास्तिक हिन्दू
(Update: यह लेख 14 अप्रैल 2006 को अनुगूंज शृंखला के अन्तर्गत लिखा गया था। इस शृंखला में सभी चिट्ठाकार एक ही विषय पर लेख लिखते थे। इस लेख में दी गई कई कड़ियाँ अब काम नहीं कर रही हैं।) बहुत ही टेढ़ा विषय...
View Articleचुटकुला-गूँज + सुभाषित-सहस्र
विवाह के विषय में कुछ सुभाषित (पुरुषों की नज़र से) मैं ने सुना है कि प्रेम रसायनशास्त्र की तरह है। शायद यही वजह है मेरी पत्नी मुझे विषैले पदार्थ के समान समझती है। - डेविड बिसोनेट कोई व्यक्ति यदि आप...
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